सिख धर्म (Sikhism)
सिख धर्म (Sikhism) के संस्थापक गुरु नानक देव थे। उन्होंने पंद्रहवीं शताब्दी में भारत के उत्तर-पश्चिमी भाग के पंजाब में इस धर्म की स्थापना की थी। सिख’ शब्द ‘शिष्य’ का तद्भव रूप है, जिसका अर्थ है गुरु नानक के शिष्य-अर्थात् उनकी शिक्षाओं का अनुसरण करने वाले।
विवरण | भारतीय धर्मों में सिक्ख धर्म का अपना एक पवित्र एवं अनुपम स्थान है। |
स्थापना | 15 वीं शताब्दी |
संस्थापक | गुरु नानक |
प्रतीक चिह्न | सिक्ख पंथ के प्रतीक चिह्न में दो ओर वक्राकार तलवारों के बीच एक वृत्त तथा वृत्त के बीच एक सीधा खांडा होता है। तलवारें धर्मरक्षा के लिए समर्पण का, वृत्ता ‘एक ओंकार’ का तथा खांडा पवित्रता का प्रतीक है। |
पवित्र ग्रंथ | गुरु ग्रंथ साहिब |
सिक्खों के दस गुरु | गुरु नानक, गुरु अंगद, गुरु अमरदास, गुरु रामदास, गुरु अर्जन देव, गुरु हरगोविंद सिंह, गुरु हरराय, गुरु हर किशन सिंह, गुरु तेगबहादुर सिंह, गुरु गोविन्द सिंह |
अन्य जानकारी | सिख’ शब्द ‘शिष्य’ का तद्भव रूप है, जिसका अर्थ है गुरु नानक के शिष्य-अर्थात् उनकी शिक्षाओं का अनुसरण करने वाले। सिक्ख धर्म में बहु-देवतावाद की मान्यता नहीं है। यह धर्म केवल एक ‘अकाल पुरुष’ को मानता है और उसमें विश्वास करता है। |
सिख धर्म के 10 गुरु (Sikhism 10 Guru Hindi)
सिख पंथ (Sikhism) में गुरु-परंपरा का विशेष महत्त्व रहा है। इसमें दस गुरु माने गए हैं, जो निम्न है-
क्रमांक | नाम | जन्म | गुरु बने | मृत्यु | आयु |
---|---|---|---|---|---|
1 | गुरु नानक देव | 15 अप्रैल 1469 | 20 अगस्त 1507 | 22 सितम्बर 1539 | 69 |
2 | गुरु अंगद देव | 31 मार्च 1504 | 7 सितम्बर 1539 | 29 मार्च 1552 | 48 |
3 | गुरु अमर दास | 5 मई 1479 | 26 मार्च 1552 | 1 सितम्बर 1574 | 95 |
4 | गुरु राम दास | 24 सितम्बर 1534 | 1 सितम्बर 1574 | 1 सितम्बर 1581 | 46 |
5 | गुरु अर्जन देव | 15 अप्रैल 1563 | 1 सितम्बर 1581 | 30 मई 1606 | 43 |
6 | गुरु हरगोबिन्द | 19 जून 1595 | 25 मई 1606 | 28 फरवरी 1644 | 48 |
7 | गुरु हर राय | 16 जनवरी 1630 | 3 मार्च 1644 | 6 अक्टूबर 1661 | 31 |
8 | गुरु हर किशन | 7 जुलाई 1656 | 6 अक्टूबर 1661 | 30 मार्च 1664 | 7 |
9 | गुरु तेग बहादुर | 1 अप्रैल 1621 | 20 मार्च 1665 | 11 नवंबर 1675 | 54 |
10 | गुरु गोबिंद सिंह | 22 दिसम्बर 1666 | 11 नवंबर 1675 | 7 अक्टूबर 1708 | 41 |
सिख धर्म से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी (Sikhism Interesting Facts)
सिख धर्म (Sikhism) के संस्थापक गुरु नानक देव थे। उन्होंने पंद्रहवीं शताब्दी में भारत के उत्तर-पश्चिमी भाग के पंजाब में इस धर्म की स्थापना की थी। तीसरे गुरु अमरदास ने जाति प्रथा तथा छुआछूत दूर करने के उद्देश्य से लंगर परंपरा की नींव डाली।
चौथे गुरु रामदास ने अमृत सरोवर (अमृतसर) नामक नए नगर की नींव डाली। अमृतसर में ही पाँचवें गुरु अर्जनदेव ने ‘हरमंदिर‘ साहिब‘ (स्वर्ण मंदिर) की स्थापना की। उन्होंने ही अपने पिछले गुरुओं तथा उनके समकालीन हिंदू-मुसलिम संतों के पदों एवं भजनों का संग्रह कर आदि ग्रंथ बनाया।
दसवें गुरु गोविंद सिंह ने सिख पंथ को नया रूप, नई शक्ति तथा नई ओजस्विता प्रदान की। उन्होंने ‘खालसा’ परंपरा की स्थापना की खालसाओं के पाँच अनिवार्य लक्षण निर्धारित किए गए, जिन्हें ‘पाँच कक्के’ कहते हैं। वे हैं-केश, कंघा, कड़ा, कच्छा तथा कृपाण।
ये पाँचों लक्षण एक सिख को विशिष्ट पहचान प्रदान करते हैं। गुरु गोविंद सिंह ने पुरुष खालसाओं को ‘सिंह ‘ तथा महिलाओं को ‘कौर’ की उपाधि दी। उन्होंने कहा कि उनके बाद कोई अन्य गुरु नहीं होगा बल्कि ‘आदि ‘ग्रंथ’ ही गुरु माना जाएगा। तब से ‘आदि ग्रंथ’ को ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ कहा जाने लगा।
गुरु ग्रंथ साहिब को सदैव रूमाल में लपेटकर तथा मखमली चाँदनी के नीचे रखते हैं। यदि इसे कही ले जाना पड़े तो सिर पर रखकर ले जाते हैं। इस पर सदैव चँवर डुलाया जाता है। गुरुद्वारे में इसका पाठ करनेवाले को ‘ग्रंथी’ कहा जाता है और विशिष्ट गायन में प्रवीण व्यक्ति ‘रागी’ कहलाता है।
सिखों का पवित्र निशान ‘सिख निशान साहब’ कहलाता है। ‘वाहे गुरु’ संबोधन ईश्वर का प्रशंसात्मक नाम है।
सिख धर्म (Sikhism) के पाँच प्रमुख में केंद्र (तख्त) है:- अकाल, हरमंदिर साहिब, पटना साहिब, आनंदपुर साहिब तथा हुजूर साहिब। गुरुद्वारे में स्वेच्छा से की गई सेवा का विशेष महत्व है।
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प्रस्तुत लेख में सिख धर्म से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी बताई गई है। आशा करते है, आपको लेख पसंद आया होगा। 🙏