हरिद्वार (Haridwar): History & Places To Visit in Hindi
Haridwar: हरिद्वार उत्तराखंड में स्थित भारत के सात सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में एक है। गंगा नदी के किनारे बसा हरिद्वार अर्थात् हरि तक पहुंचने का द्वार सदियों से पर्यटकों और श्रद्धालुओं को आकर्षित करता रहा है।
Haridwar: Everything You Need to know
नाम | हरिद्वार |
राज्य | उत्तराखंड |
जिला | हरिद्वार |
क्षेत्रफल | 23,60 वर्ग कि. मी |
पर्यटन स्थल | हर की पौड़ी, चंडी देवी मंदिर, मनसा देवी मंदिर, दक्ष महादेव मंदिर आदि। |
संबंधित लेख | ऋषिकेश, शक्तिपीठ का रहस्य, सप्तपुरी , सप्तऋषि |
उपयुक्त समय | अक्टूबर से मार्च। |
इस शहर की पवित्र नदी में डुबकी लगाने और अपने पापों का नाश करने के लिए साल भर श्रद्धालुओं का आना जाना यहां लगा रहता है। गंगा नदी पहाड़ी इलाकों को पीछे छोड़ती हुई हरिद्वार से ही मैदानी क्षेत्र में प्रवेश करती है। उत्तराखंड क्षेत्र के चार प्रमुख तीर्थस्थलों का प्रवेशद्वार हरिद्वार ही है। संपूर्ण हरिदार में सिद्धपीठ, शक्तिपीठ और अनेक नए पुराने मंदिर बने हुए हैं। बारह वर्ष में आयोजित होने वाले कुंभ के मेले का यह महत्वपूर्ण स्थल है।
हरिद्वार का पौराणिक महत्व: भारत के पौराणिक ग्रंथों और उपनिषदों में हरिद्वार को मायापुरी कहा गया है। कहा जाता है समुद्र मंथन से प्राप्त किया गया अमृत यहां गिरा था। इसी कारण यहां कुंभ का मेला आयोजित किया जाता है। पिछला कुंभ का मेला 2021 में आयोजित किया गया था। अगला कुंभ का मेला 2033 में यहां आयोजित किया जाएगा।
हरिद्वार में ही राजा धृतराष्ट्र के मंत्री विदुर ने मैत्री मुनी के यहां अध्ययन किया था। कपिल मुनी ने भी यहां तपस्या की थी। इसलिए इस स्थान को कपिलास्थान भी कहा जाता है। कहा जाता है कि राजा श्वेत ने हर की पौड़ी में भगवान ब्रह्मा की पूजा की थी। (और पढ़ें: महाभारत के प्रमुख पात्र
राजा की भक्ति से प्रसन्न होकर ब्रह्मा ने जब वरदान मांगने को कहा तो राजा ने वरदान मांगा कि इस स्थान को ईश्वर के नाम से जाना जाए। तब से हर की पौड़ी के जल को ब्रह्मकुंड के नाम से भी जाना जाता है।
हरिद्वार के प्रमुख पर्यटन स्थल (Best Places To Visit in Haridwar)
Haridwar Tourist Places: हरिद्वार उत्तराखंड राज्य के पवित्र शहरों में से एक है जो भारतीय धर्म और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। हरिद्वार के कुछ प्रमुख पर्यटन स्थल निम्न है:
हर की पौड़ी (Har ki pauri)
यह स्थान भारत के सबसे पवित्र घाटों में एक है। कहा जाता है कि यह घाट विक्रमादित्य ने अपने भाई भतृहरी की याद में बनवाया था। इस घाट को ब्रह्मकुंड के नाम से भी जाना जाता है। शाम के वक्त यहां महाआरती आयोजित की जाती है। गंगा नदी में बहते असंख्य सुनहरे दीपों की आभा यहां बेहद आकर्षक लगती है।
चंडी देवी मंदिर (Chandi Devi Temple)
गंगा नदी के दूसरी ओर नील पर्वत पर यह मंदिर बना हुआ है। यह मंदिर कश्मीर के राजा सुचेत सिंह द्वारा 1929 ई. में बनवाया गया था। कहा जाता है कि आदि शंकराचार्य ने आठवीं शताब्दी में चंडी देवी की मूल प्रतिमा यहां स्थापित करवाई थी। किवदंतियों के अनुसार चंडीदेवी ने शुंभ निशुंभ के सेनापति चंद और मुंड को यही मारा था। चंडीघाट से 3 किमी. की ट्रैकिंग के बाद यहां पहुंचा जा सकता है।
माया देवी मंदिर (Maya Devi Temple)
माया देवी मंदिर भारत के प्रमुख शक्तिपीठों में एक है। मायादेवी हरिद्वार की अधिष्ठात्री देवी हैं। कहा जाता है कि शिव की पत्नी सती का ह्रदय और नाभि यहीं गिरा था।
मनसा देवी मंदिर (Mata Mansa Devi Mandir)
यह मंदिर बलवा पर्वत की चोटी पर स्थित है। उड़नखटोले या ट्रैकिंग द्वारा मंदिर तक पहुंचा जा सकता है। पहाड़ की चोटी से हरिद्वार का खूबसूरत नजारा देखा जा सकता है। देवी मनसा देवी की एक प्रतिमा के तीन मुख और पांच भुजाएं हैं जबकि अन्य प्रतिमा की आठ भुजाएं हैं।
सप्तऋषि आश्रम (Saptrishi Ashram, Haridwar)
इस आश्रम के सामने गंगा नदी सात धाराओं में बहती है इसलिए इस स्थान को सप्त सागर भी कहा जाता है। माना जाता है कि जब गंगा नदी बहती हुई आ रही तो यहां सप्त ऋषि गहन तपस्या में लीन थे। गंगा ने उनकी तपस्या में विध्न नहीं डाला और स्वयं को सात हिस्सों में विभाजित कर अपना मार्ग बदल लिया। इसलिए इसे सप्त सागर भी कहा जाता है। (और पढ़ें: सप्तऋषि का रहस्य
दक्ष महादेव मंदिर (Daksh prajapati Temple)
यह प्राचीन मंदिर कंखल नगर के दक्षिण में स्थित है। सती के पिता राजा दक्ष के याद में यह मंदिर बनवाया गया है। किवदंतियों के अनुसार सती के पिता राजा दक्ष ने यहां एक विशाल यक्ष का आयोजन किया था। यक्ष ने भगवान शिव को आमंत्रित नही किया।
अपने पति का अपमान देख सती ने यज्ञ कुंड में आत्मदाह कर लिया। इससे शिव के अनुयायी गण उत्तेजित हो गए और दक्ष को मार डाला। बाद में शिव ने उन्हें पुनर्जीवित कर दिया।
गुरूकुल कांगडी विश्वविद्यालय (Gurukul Kangri Deemed to be University, Haridwar)
यह विश्वविद्यालय शिक्षा का एक प्रमुख केन्द्र है। यहां पारंपरिक भारतीय पद्धति से शिक्षा प्रदान की जाती है। विश्वविद्यालय के परिसर में वेद मंदिर बना हुआ है। यहां पुरातत्व संबंधी अनेक वस्तुएं देखी जा सकती हैं। यह विश्वविद्यालय हरिद्वार-ज्वालापुर बाईपास रोड़ पर स्थित है।
चीला वन्य जीव अभ्यारण्य (Rajaji Tiger Reserve ,Chilla Jungle Safari)
यह अभ्यारण्य राजाजी राष्ट्रीय पार्क के अन्तर्गत आता है जो लगभग 240वर्ग किमी.के क्षेत्र में फैला हुआ है। यहां 23 स्तनपायी और 315 वन्य जीवों की प्रजातिया पाई जाती हैं। पर्यटक यहां हाथी, टाईगर, तेंदुआ, जंगली बिल्ली, सांभर, चीतल, बार्किग डियर, लंगूर आदि जानवरों को देख सकते हैं। अनुमति मिलने पर यहां फिशिंग का भी आनंद लिया जा सकता
हरिद्वार कैसे पहुंचे (How to Reach Haridwar in Hindi)
वायुमार्ग – देहरादून में स्थित जौली ग्रांन्ट एयरपोर्ट नजदीकी एयरपोर्ट है। हरिद्वार से एयरपोर्ट की दूरी लगभग 45 किमी. है। एयरपोर्ट से हरिद्वार के लिए बस या टैक्सी की सेवाएं ली जा सकती हैं।
रेलमार्ग – हरिद्वार रेलवे स्टेशन भारत के अधिकांश हिस्से से जुड़ा हुआ है।
सड़क मार्ग– राष्ट्रीय राजमार्ग 45 हरिद्वार से होकर जाता है जो राज्य और देश के अन्य शहरों से जुड़ा हुआ है। बेहतर सड़कों के नेटवर्क से दिल्ली से हरिद्वार आसानी से पहुंचा जा सकता है। दिल्ली, गाजियाबाद, मेरठ से नियमित बसे हरिद्वार के लिए चलती है।
खरीददारी: हर की पौडी और रेलवे स्टेशन के बीच अनेक दुकानें हैं जहां तीर्थयात्रा से संबधित सामान मिलता है। यहां से पूजा के कृत्रिम आभूषण, पीतल और कांसे के बर्तन, कांच की चूड़ियां आदि खरीदी जा सकती हैं।
यहां बहुत सी मिठाई की दुकानें हैं जहां से स्वादिष्ट पेडों की खरीददारी के साथ चूरण और आम पापड़ भी खरीदे जा सकते हैं। सामान्यत: तीर्थ यात्री यहां से कंटेनर खरीदकर गंगाजल भरकर घर ले जाते हैं।
कब जाएं– वैसे तो हरिद्वार में पर्यटन के लिहाज साल में कभी भी जाया जा सकता है। लेकिन सर्दियों में यहां भीड़ कम होती है। अक्टूबर से मार्च की अवधि यहां आने के लिए सर्वोत्तम मानी जाती हैं।