Bhopal (M.P): History & Tourist Places in Hindi
भोपाल (Bhopal) भारत के मध्य प्रदेश राज्य की राजधानी है और भोपाल जनपद का प्रशासनिक मुख्यालय भी है। यह नगर अचानक चर्चा में तब आ गया। जब 1984 में अमरीकी कम्पनी, यूनियन कार्बाइड से मिथाइल आइसोसाइनेट गैस के रिसाव से लगभग 20,000 लोग मारे गये थे।
मान्यता अनुसार भोपाल का प्राचीन नाम भूपाल था अर्थात् भू = भूमि, पाल=दूध। भोपाल को राजा भोज की नगरी तथा ‘झीलों की नगरी’ भी कहा जाता है।
Bhopal: History & Tourist Attraction in Hindi
राज्य | मध्यप्रदेश |
क्षेत्रफल | 2,772 वर्ग किमी. |
भाषा | हिंदी और इंग्लिश |
दर्शनीय स्थल | बिरला मंदिर, भीमबेटका गुफाएं, बड़ा तालाब, गोहर महल, पुरातात्विक संग्रहालय, भारत भवन, मोती मस्जिद, शौकत महल आदि। |
कब जाएं | नवम्बर के फरवरी। |
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल का दौरा मध्यकालीन नवाबों के वैभव की याद ताजा कर देता है। भोपाल अपनी प्राकृतिक सुंदरता और अनेक ऐतिहासिक स्मारकों के लिए प्रसिद्ध है। इस शहर की स्थापना ग्यारहवीं शताब्दी में राजा भोज ने की थी इसीलिए इस शहर को भोजपाल के नाम से जाना जाता था। शहर का पूर्व नाम ‘भोजपाल’ था जो भोज और पाल के संधि से बना था।
बाद में इस शहर को औरंगजेब के गवर्नर दोस्त मोहम्मद ने विकसित किया। दो मानव निर्मित झीलों से घिरा होने के कारण इसे झीलों के शहर के नाम से भी संबोधित किया जाता है। यहां अनेक शानदार मंदिर और मस्जिद बने हुए हैं जो अपने गौरवशाली अतीत की कहानी कहते प्रतीत होते हैं।
भोपाल के प्रमुख दर्शनीय स्थल (Best Places to visit in Bhopal)
Bhopal Tourist Places: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल, प्राकृतिक सुंदरता, पुराने ऐतिहासिक शहर और आधुनिक शहरी नियोजन का आकर्षक संगम है। भोपाल शहर में शौर्य स्मारक, भारत भवन, भीमबेटका, शहीद भवन जैसी जगह पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं।
1. लक्ष्मीनारायण मंदिर (Shri Laxmi Narayan Mandir, Bhopal)
बिरला मंदिर के नाम से विख्यात यह मंदिर अरेरा पहाडियों के निकट बनी झील के दक्षिण में स्थित है। मंदिर के बाहर प्रवेश द्वार के दोनों तरफ़ संगमरमर से बने मंदिरों में देवों के देव भगवान शिव और श्रीराम भक्त हनुमान की प्रतिमाएँ प्रतिष्ठापित हैं।
मंदिर के निकट ही एक संग्रहालय बना हुआ है जिसमें मध्यप्रदेश के रायसेन, सेहोर, मंदसौर और सहदोल आदि जगहों से लाई गईं मूर्तियां रखी गईं हैं। संग्रहालय सोमवार के अलावा प्रतिदिन सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक खुला रहता है। (और पढें: भारत के इन स्थानों में है बिरला मंदिर
2. मोती मस्जिद (Moti Masjid)
इस मस्जिद को कदसिया बेगम की बेटी सिकंदर जहां बेगम ने 1860 ई. में बनवाया था। उनका घरेलू नाम ‘मोती बीबी’ था और उन्हीं के नाम पर ही इस मस्जिद का नाम ‘मोती मस्जिद’ रखा गया था।
इस मस्जिद की शैली दिल्ली में बनी जामा मस्जिद के समान है, लेकिन आकार में यह उससे छोटी है। मस्जिद की गहरे लाल रंग की दो मीनारें हैं, जो ऊपर नुकीली हैं और सोने के समान लगती हैं।
3. ताज-उल-मस्जिद (Taj Ul Masajid)
यह मस्जिद भोपाल की सबसे बड़ी मस्जिद है और भारत की सबसे विशाल मस्जिदों में से एक है। ‘ताज-उल-मस्जिद’ का अर्थ है ‘मस्जिदों का ताज’। इस मस्जिद का निर्माण कार्य भोपाल के आठवें शासक शाहजहां बेगम के शासन काल में प्रारंभ हुआ था, लेकिन धन की कमी के कारण उनके जीवंतपर्यंत यह बन न सकी।
1971 में भारत सरकार के दखल के बाद यह मस्जिद पूरी तरह से बनकर तैयार हो सकी। गुलाबी रंग की इस विशाल मस्जिद की दो सफेद गुंबदनुमा मीनारें हैं, जिन्हें मदरसे के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। तीन दिन तक चलने वाली यहां की वार्षिक इजतिमा प्रार्थना भारत भर से लोगों का ध्यान खींचती है।
4. शौकत महल और सदर मंजिल (Shaukat Mahal & Sadar Manzil)
शौकत महल शहर के बीचों बीच चौक एरिया के प्रवेश द्वार पर स्थित है। यह महल इस्लामिक और यूरोपियन शैली का मिश्रित रूप है। जिसकी ख़ूबसूरती देखते ही बनती है। महल के निकट ही भव्य सदर मंजिल भी बनी हुई है। जिसका निर्माण वर्ष 1898 ई. में तत्कालीन नवाब शाहजहाँ बेगम द्वारा कराया गया था। यह 200 एकड के क्षेत्र में फैला हुआ है।
5. बड़ा तालाब (Upper Lake)
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के मध्य में स्थित मानव निर्मित एक झील है। इस तालाब का निर्माण 11वीं सदी में ‘परमार वंश’ के राजा भोज ने करवाया था। तालाब का कुल भराव क्षेत्रफल 31 किलोमीटर है, पर अतिक्रमण एवं सूखे के कारण यह क्षेत्र 8-9 किलोमीटर में ही सिमट कर रह गया है।
यह तालाब भोपाल के निवासियों के पीने के पानी का सबसे मुख्य स्रोत है। भोपाल की लगभग 40 प्रतिशत जनसंख्या को यह तालाब लगभग तीस मिलियन गैलन पानी रोज देता है। बड़े तालाब के साथ ही एक ‘छोटा तालाब’ भी यहाँ मौजूद है।
6. गोहर महल (Gohar Mahal)
बड़ी झील के किनारे बना यह महल शौकत महल के पीछे स्थित है। इस तिमंजिले भवन का निर्माण भोपाल राज्य की तत्कालीन शासिका नवाब कदसिया बेगम ने 1820 में बनवाया था। कला का यह अनूठा उदाहरण हिन्दु और मुगल वास्तुशिल्प का बेहतरीन नमूना है।
गौहर महल’ बड़े तालाब के किनारे व्ही.आई.पी. रोड पर स्थित है। शौकत महल के पास बड़ी झील के किनारे स्थित वास्तुकला का यह ख़ूबसूरत नमूना कदसिया बेगम के काल का है।
7. पुरातात्विक संग्रहालय (Archaeological Museum)
बनगंगा रोड पर स्थित इस संग्रहालय में मध्यप्रदेश के विभिन्न स्कूलों से एकत्रित की गई पेंटिग्स, बाघ गुफाओं की चित्रकारियों की प्रतिलिपियाँ, लक्ष्मी और बुद्ध की प्रतिमाएँ इस संग्रहालय में सहेजकर रखी गई हैं।
यहां की दुकानों से पत्थरों की मूर्तियों खरीदी जा सकती हैं। सोमवर के अलावा प्रतिदिन सुबह 10 से शाम 5 बजे तक यह संग्रहालय खुला रहता है।
8. भारत भवन (Bharat Bhawan)
यह भवन भारत के सबसे अनूठे राष्ट्रीय संस्थानों में एक है, जो कि एक विविध कला संग्रहालय भी है। शामला पहाडियों पर स्थित इस भवन को 1982 ई. में स्थापित किया गया था। इसे प्रसिद्ध वास्तुकार चार्ल्स कोरेया ने डिजाइन किया था।
इस भवन में अनेक रचनात्मक कलाओं का प्रदर्शन किया जाता है। इस भवन में एक म्युजियम ऑफ आर्ट, एक आर्ट गैलरी, ललित कलाओं की कार्यशाला, भारतीय काव्य की पुस्तकालय आदि शामिल हैं। सोमवार के अतिरिक्त प्रतिदिन दिन में 2 बजे से रात 8 बजे तक यह भवन खुला रहता है।
9. इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय (Indira Gandhi Rashtriya Manav sangrahlay)
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय’ भोपाल शहर के शामला की पहाडियों पर 200 एकड के क्षेत्र में फैला हुआ है। यह संग्रहालय जिस स्थान पर बना है, उसे प्रागैतिहासिक काल से संबंधित माना जाता है।
इस संग्रहालय में भारत के विभिन्न राज्यों की जनजातीय संस्कृति की झलक देखी जा सकती है। इस संग्रहालय में 32 पारंपरिक एवं प्रागैतिहासिक चित्रित शैलाश्रय भी हैं। सोमवार और राष्ट्रीय अवकाश के अलावा यह संग्रहालय प्रतिदिन 10 से शाम 5 बजे तक खुला रहता है। (और पढ़ें: इंदिरा गांधी के जीवन से जुड़े रहस्य
10. भीमबेटका गुफाएं (Bhimbetka rock shelters)
भोपाल से 46 किमी. दूर स्थित ‘भीमबेटका की गुफाएं’ प्रागैतिहासिक काल की चित्रकारियों के लिए प्रसिद्ध हैं। इन गुफाओं में बनी चित्रकारियाँ पाषाण कालीन मनुष्यों के जीवन को दर्शाती है। गुफा की पेंटिंग लगभग 12,000-30,000 साल पुरानी मानी जाती है। ऐसा माना जाता है कि भीमबेटका गुफ़ाओं का स्थान महाभारत के चरित्र भीम से संबन्धित है और इसलिए इसका नाम ‘भीमबैटका’ पड़ गया।
11. भोजपुर (Bhojpur)
यह प्राचीन शहर दक्षिण पूर्व भोपाल से 28 किमी की दूरी पर स्थित है। यह शहर भगवान शिव को समर्पित “भोजेश्वर मंदिर” के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर का निर्माण 11 वीं शताब्दी में राजा भोज ने करवाया था। इस मंदिर को पूर्व का सोमनाथ भी कहा जाता है।
मंदिर की सबसे खास विशेषता यहां के लिंगम का विशाल आकार है। मंदिर के शिवलिंग की ऊंचाई लगभग 2.3 मीटर की है और इसकी परिधि 5.3 मीटर है। शिव रात्रि का पर्व यहां बडी धूमधाम से मनाया जाता है। मंदिर के निकट ही एक जैन मंदिर भी है।
भोपाल कैंसे पहुंचे (How to Reach Bhopal)
भोपाल दिल्ली से 741 किमी, मुंबई से 789 किमी और इंदौर से लगभग 200 किलोमीटर दूर है। भोपाल के कान्हा, उज्जैन और सांची नज़दीकी पर्यटन स्थल हैं। जो भोपाल से अच्छी तरह से जुड़े हुए है।
वायु मार्ग– भोपाल एयरपोर्ट ओल्ड सिटी से 12 किमी. की दूरी पर है। दिल्ली, मुंबई और इंदौर से यहां के लिए इंडियन एयरलाइन्स की नियमित फ्लाइटें हैं। ग्वालियर से यहां के लिए सप्ताह में चार दिन फ्लाइट्स हैं।
रेल मार्ग- भोपाल का रेलवे स्टेशन देश के विविध रेलवे स्टेशनों से जुडा हुआ है। यह रेलवे स्टेशन दिल्ली-चैन्नई रूट पर पडता है। शताब्दी एक्सप्रेस भोपाल को दिल्ली से सीधा जोडती है। साथ ही यह शहर मुम्बई, आगरा, ग्वालियर, झांसी, उज्जैन आदि शहरों से अनेक रेलगाडियों के माध्यम से जुडा हुआ है।
सडक मार्ग- सांची, इंदौर, उज्जैन, खजुराहो, पंचमढी, जबलपुर आदि शहरों से आसानी से सडक मार्ग से भोपाल पहुंचा जा सकता है। मध्य प्रदेश और पडोसी राज्यों के अनेक शहरों से भोपाल के लिए नियमित बसें चलती हैं।