रमा एकादशी : व्रत कथा, मुहूर्त एवं पूजा विधि
Rama Ekadashi: कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को ‘रमा एकादशी’ के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत-पूजन करने से अधूरी मनोकामनाएं विष्णु भगवान अवश्य पूरी करते है। इस वर्ष रमा एकादशी 28अक्टूबर है।
रमा एकादशी व्रत

आधिकारिक नाम | रमा एकादशी व्रत |
---|---|
तिथि | कार्तिक मास, कृष्ण पक्ष की एकादशी |
अनुयायी | हिन्दू |
प्रकार | व्रत |
उद्देश्य | सर्वकामना पूर्ति |
सम्बंधित लेख | एकादशी व्रत, एकादशी में चावल निषेध क्यों? |
रमा एकादशी व्रत कथा
युधिष्ठिर ने पूछा : जनार्दन ! मुझ पर आपका स्नेह है, अतः कृपा करके बताइये कि कार्तिक के कृष्णपक्ष में कौन सी एकादशी होती है ?
भगवान श्रीकृष्ण बोले : राजन् ! कार्तिक (गुजरात महाराष्ट्र के अनुसार आश्विन) के कृष्णपक्ष में रमा नाम की विख्यात और परम कल्याणमयी एकादशी होती है। यह परम उत्तम है और बड़े बड़े पापों को हरने वाली है।
पूर्वकाल में मुचुकुन्द नाम से विख्यात एक राजा थे, जो भगवान श्रीविष्णु के परम भक्त और सत्य प्रतिज्ञ थे। अपने राज्य पर निष्कण्टक शासन करने वाले उन राजा के यहाँ नदियों में श्रेष्ठ ‘चन्द्रभागा’ कन्या के रूप में उत्पन्न हुई। राजा ने चन्द्रसेनकुमार शोभन के साथ उसका विवाह कर दिया।
एक बार शोभन दशमी के दिन अपने ससुर के घर आये और उसी दिन समूचे नगर में पूर्ववत् ढिंढोरा पिटवाया गया किः ‘एकादशी के दिन कोई भी भोजन न करें। इसे सुनकर शोभन ने अपनी प्यारी पत्नी चन्द्रभागा से कहा प्रिये अब मुझे इस समय क्या करना चाहिए, इसकी शिक्षा दो।
चन्द्रभागा बोली : प्रभो ! मेरे पिता के घर पर एकादशी के दिन मनुष्य तो क्या कोई पालतू पशु आदि भी भोजन नहीं कर सकते। प्राणनाथ! यदि आप भोजन करेंगे तो आपकी बड़ी निन्दा होगी। इस प्रकार मन में विचार करके अपने चित्त को दृढ़ कीजिये।
शोभन ने कहा : प्रिये ! तुम्हारा कहना सत्य है मैं भी उपवास करूँगा दैव का जैसा विधान है, वैसा ही होगा। भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं इस प्रकार दृढ़ निश्चय करके शोभन ने व्रत के नियम का पालन किया किन्तु सूर्योदय होते होते उनका प्राणान्त हो गया। राजा मुचुकुन्द ने शोभन का राजोचित दाह संस्कार कराया चन्द्रभागा भी पति का पारलौकिक कर्म करके पिता के ही घर पर रहने लगी।
नृपश्रेष्ठ ! उधर शोभन इस व्रत के प्रभाव से मन्दराचल के शिखर पर बसे हुए परम रमणीय देवपुर को प्राप्त हुए। वहाँ शोभन द्वितीय कुबेर की भाँति शोभा पाने लगे। एक बार राजा मुचुकुन्द के नगरवासी विख्यात ब्राह्मण सोमशर्मा तीर्थयात्रा के प्रसंग से घूमते हुए मन्दराचल पर्वत पर गये, जहाँ उन्हें शोभन दिखायी दिये।
राजा के दामाद को पहचानकर वे उनके समीप गये। शोभन भी उस समय द्विजश्रेष्ठ सोमशर्मा को आया हुआ देखकर शीघ्र ही आसन से उठ खड़े हुए और उन्हें प्रणाम किया। फिर क्रमश: अपने ससुर राजा मुचुकुन्द प्रिय पत्नी चन्द्रभागा तथा समस्त नगर का कुशलक्षेम पूछा।
सोमशर्मा ने कहा : राजन् ! वहाँ सब कुशल हैं। आश्चर्य है। ऐसा सुन्दर और विचित्र नगर तो कहीं किसी ने भी नहीं देखा होगा बताओ तो सही आपको इस नगर की प्राप्ति कैसे हुई ?
शोभन बोले द्विजेन्द्र कार्तिक के कृष्णपक्ष में जो रमा नाम की एकादशी होती है, उसी का व्रत करने से मुझे ऐसे नगर की प्राप्ति हुई है। ब्रह्मन् मैंने श्रद्धाहीन होकर इस उत्तम व्रत का अनुष्ठान किया था, इसलिए मैं ऐसा मानता हूँ कि यह नगर स्थायी नहीं है। आप मुचुकुन्द की सुन्दरी कन्या चन्द्रभागा से यह सारा वृत्तान्त कहियेगा।
शोभन की बात सुनकर ब्राह्मण मुचुकुन्दपुर में गये और वहाँ चन्द्रभागा के सामने उन्होंने सारा वृत्तान्त कह सुनाया। सोमशर्मा बोले शुभे ! मैंने तुम्हारे पति को प्रत्यक्ष देखा। इन्द्रपुरी के समान उनके नगर का भी अवलोकन किया, किन्तु वह नगर अस्थिर है। तुम उसको स्थिर बनाओ।
चन्द्रभागा ने कहा : ब्राह्मणदेव! मेरे मन में पति के दर्शन की लालसा लगी हुई है। आप मुझे वहाँ ले चलिये मैं अपने व्रत के पुण्य से उस नगर को स्थिर बनाऊँगी।
भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं राजन् ! चन्द्रभागा की बात सुनकर सोमशर्मा उसे साथ ले मन्दराचल पर्वत के निकट वामदेव मुनि के आश्रम पर गये। वहाँ ऋषि के मंत्र की शक्ति तथा एकादशी सेवन के प्रभाव से चन्द्रभागा का शरीर दिव्य हो गया तथा उसने दिव्य गति प्राप्त कर ली। इसके बाद वह पति के समीप गयी। अपनी प्रिय पत्नी को आया हुआ देखकर शोभन को बड़ी प्रसन्नता हुई। उन्होंने उसे बुलाकर अपने वाम भाग में सिंहासन पर बैठाया।
तदनन्तर चन्द्रभागा ने अपने प्रियतम से यह प्रिय वचन कहा: ‘नाथ में हित की बात कहती हूँ, सुनिये। जब मैं आठ वर्ष से अधिक उम्र की हो गयी, तबसे लेकर आज तक मेरे द्वारा किये हुए एकादशी व्रत से जो पुण्य संचित हुआ है, उसके प्रभाव से यह नगर कल्प के अन्त तक स्थिर रहेगा तथा सब प्रकार के मनोवांछित वैभव से समृद्धिशाली रहेगा ।’
नृपश्रेष्ठ इस प्रकार रमा व्रत के प्रभाव से चन्द्रभागा दिव्य भोग, दिव्य रुप और दिव्य आमरणों से विभूषित हो अपने पति के साथ मन्दराचल के शिखर पर विहार करती है। राजन् ! मैंने तुम्हारे समक्ष ‘रमा’ नामक एकादशी का वर्णन किया है। यह चिन्तामणि तथा कामधेनु के समान सब मनोरथों को पूर्ण करनेवाली है।
2024 में रमा एकादशीव्रत कब है? (Rama Ekadashi Vrat Date and Muhurat)
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, रमा एकादशी कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष के दौरान ग्यारहवें दिन (एकादशी) को आती है। इंग्लिश कलेंडर के अनुसार, यह अक्टूबर-नवम्बर में पड़ता है। इस वर्ष रमा एकादशी, 28 अक्टूबर को है।
Rama Ekadashi 2024 is on 28 October
Sunrise | October 28, 2024 6:34 AM |
Sunset | October 28, 2024 5:47 PM |
Ekadashi Tithi Begins | October 27, 2024 5:24 AM |
Ekadashi Tithi Ends | October 28, 2024 7:51 AM |
Hari Vasara End Moment | October 28, 2024 2:31 PM |
Dwadashi End Moment | October 29, 2024 10:32 AM |
Parana Time | October 29, 6:34 AM – October 29, 8:49 AM |
Rama Ekadashi festival dates between 2024 & 2029
Year | Date |
---|---|
2024 | Monday, 28th of October |
2025 | Friday, 17th of October |
2026 | Thursday, 5th of November |
2027 | Monday, 25th of October |
2028 | Saturday, 14th of October |
2029 | Friday, 2nd of November |
2025 एकादशी व्रत दिनांक सूची (ekadashi Vrat date list in 2025)
त्यौहार दिनांक | व्रत |
---|---|
जनवरी 10, 2025, शुक्रवार | पौष पुत्रदा एकादशी |
जनवरी 25, 2025, शनिवार | षटतिला एकादशी |
फरवरी 8, 2025, शनिवार | जया एकादशी |
फरवरी 24, 2025, सोमवार | विजया एकादशी |
मार्च 10, 2025, सोमवार | आमलकी एकादशी |
मार्च 25, 2025, मंगलवार | पापमोचिनी एकादशी |
मार्च 26, 2025, बुधवार | वैष्णव पापमोचिनी एकादशी |
अप्रैल 8, 2025, मंगलवार | कामदा एकादशी |
अप्रैल 24, 2025, बृहस्पतिवार | वरुथिनी एकादशी |
मई 8, 2025, बृहस्पतिवार | मोहिनी एकादशी |
मई 23, 2025, शुक्रवार | अपरा एकादशी |
जून 6, 2025, शुक्रवार | निर्जला एकादशी |
जून 21, 2025, शनिवार | योगिनी एकादशी |
जुलाई 6, 2025, रविवार | देवशयनी एकादशी |
जुलाई 21, 2025, सोमवार | कामिका एकादशी |
अगस्त 5, 2025, मंगलवार | श्रावण पुत्रदा एकादशी |
अगस्त 19, 2025, मंगलवार | अजा एकादशी |
सितम्बर 3, 2025, बुधवार | परिवर्तिनी एकादशी |
सितम्बर 17, 2025, बुधवार | इन्दिरा एकादशी |
अक्टूबर 3, 2025, शुक्रवार | पापांकुशा एकादशी |
अक्टूबर 17, 2025, शुक्रवार | रमा एकादशी |
नवम्बर 1, 2025, शनिवार | देवोत्थान / प्रबोधिनी एकादशी |
नवम्बर 15, 2025, शनिवार | उत्पन्ना एकादशी |
दिसम्बर 1, 2025, सोमवार | मोक्षदा एकादशी |
दिसम्बर 15, 2025, सोमवार | सफला एकादशी |
दिसम्बर 30, 2025, मंगलवार | पौष पुत्रदा एकादशी |